Sunday, October 5, 2014

वरना कयामत हो जायेगी ..!!

क्या खता हो गई मुझसे 
जो आज कल मिलना तक भूल गई 
कल तक -
तुम्हे मेरी बातों से इनकार नहीं था 
आज तुम्हारी ओठो से न सुन रहा हूँ 
मेरे प्यार में कुछ कमी रह गई है 
या तुम मिलना हीं नहीं चाहती ||

सुना है जब प्यार की गहराई मे
शक की लकीर खीच जाती है 
तो मिलने वाला भी 
मिलना तक नहीं चाहते है 
कहीं ऐसी बात तो नहीं 
शक के बादल कभी घटते नहीं 
यह बात दिल में रखना 
दिल भी तुम्हे मिलाना चाहता है 
इसलिए -
शक की निगाह से मुझे मत देखो 
वरना कयामत हो जायेगीं ||

No comments:

Post a Comment