अनिल के. राय
इश्क़ की नज़र और बदलाव की सोच
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परिचय
मिज़ाज
इश्क़नामा
मैं मोहब्बत
दो लफ़्ज़ों में !
इश्क़नामा
हाँ
..‘
एहसास
’,
ये भी एक कमाल की चीज़ है
,
इस ज़िन्दगी को कुछ मिले या न मिले पर किसी तरह का एहसास ज़रूर मिल जाता है और ऐसा ही एक एहसास मेरी ज़िन्दगी ने भी महसूस किया था |
इन्ही एहसासों की डायरी है ..
इश्क़नामा
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