परिचय



उसी समय का हूँ जब बिहार से दूसरों राज्यों की तरफ़ पलायन अपनी उफान पर ही था, विशेष कर देहाती इलाकों से | जी हाँ, मैं बात नब्बे की दशक का ही कर रहा हूँ | नब्बे की  दशक के  शुरुवाती दिनों में ही बिहार के पटना जिले में स्तिथ हरसामचक नामक एक देहाती क़स्बे में इस मायामयी दुनिया में लोअर मिडिल क्लास ग्वाला परिवार के घर में मैंने दस्तक दिया था | साल तो याद है, 1990.  पर  तारीख़ माँ और पापा को याद नहीं | स्कूल के दस्तावेजों में 15 मार्च 1990 का उल्लेख है तो इसी दिन लोग भी मुझे जन्मदिन की बधाईया दे देते हैं | 
    रोजी-रोटी के लिए पापा भी बिहार से पलायन कर पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के एक छोटा-सा शहर चापदानी में अपना डेरा बसायें हुए थे तो मुझे भी मेरी पढ़ाई का शुभारम करवाने के लिए यहाँ बुला लिया गया | ककाहारे के साथ मेरी पढ़ाई इसी शहर से शुरू हो गयी और अपने खानदान का पढ़ाई करने वाला पहला लड़का का ख़िताब भी हासिल हो गया |
       चापदानी शहर ने मुझे पुरे उल्लास के साथ अपनी गोद में मुझे सवारा | जबतक इस शहर के चौहद्दी के अन्दर तक सिमित रहा, लगा ही नहीं कि मैं अपने जन्मभूमि बिहार से दूर बंगाल में हूँ | इस शहर को आप मिनी बिहार कह सकते है | यहाँ का हर अधिकारी, एक वार्ड काउंसलर से लेकर पौरपिता तक या तो बिहार से थे यूपी से | भोजपुरी तो यहाँ की क्षेत्रीय भाषा बन चुकी है । 
           बढ़ते उम्र के साथ एक ग्वार देहात का लड़का शहरी होने लगा था | चढ़ती किशोरावस्था के साथ ही उसका मिजाज़ भी आशिक़ाना होने लगा था | जी हाँ, वो लड़का मैं ही था | कक्षा सात में एक लड़की से मिला, काफी सीधी और भोली लड़की | पहले तो दोनों के बीच नफ़रतें पैदा हुई फ़िर समय के साथ नफ़रत का ट्रान्सफर प्यार में हो गया |उसे पटाने के लिये उसका चक्कर कटते-काटते दसवी पास भी हो गया, वो भी स्कूल टॉपर के टैग के साथ |
        आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए कोचिंग भी पढाया | पढ़ना मुझे अच्छा लगने लगा और मेरी कोचिंग 'फ्यूचर प्रूफ क्लासेज' ने मुझे बहुत नाम भी दिलाया | अपने क्षेत्र में एक अच्छा ट्यूटर के नाम से जाना जाने लगा और आगे चलकर मैथ का प्रोफ़ेसर बनने का सपना भी देखने लगा |
     उतार-चढ़ाव के साथ बारवी भी पास कर लिया और बी.एस.सी. (मैथ ऑनर ) में नामांकन भी करवा लिया | इसी बीच एक प्यारी लड़की ने मेरी चाहत को गले लगा ली और मेरी ज़िन्दगी में आई | दुनिया मुझे बहोत बेहतरीन दिखने लगी | उसकी चाहत के लिए न चाहते हुए भी इंजीनियरिंग में एड्मिसन ले लिया | इसके लिए मुझे गवर्मेंट से स्कॉलरशीप भी मिली | इसी दरमियान सरकारी टीचर की नौकरी भी लगी और मैंने उस नौकरी को ठुकरा भी दिया, अपनी प्यार की चाहत को पूरा करने के लिए | पर मेरी चाहत मेरे साथ चार सालों तक रही और मुझे छोड़ चली गयी |  
     उसके  के चले जाने के बाद अचानक मेरे अन्दर एक लेखक जगा और मैंने ख़ुद की प्रेम कहानी को   "मैं मोहब्बत : लाइफ लव लक "  नामक उपन्यास का रूप दे डाला |
       अभी एक प्राइवेट कंपनी में इंजिनियर के पद पर कार्यरत हूँ और इश्क़ और बदलाव के लिए लिखने की कोशिश ज़ारी रखा हूँ | काफी सहज भाषा में लिखने का कोशिश करता हूँ जिससे एक प्राइमरी तक पढ़ा व्यक्ति भी समझ सके | साइंस का विद्यार्थी रहा हूँ इसलिए मेरे लेखनी में साहित्य की झलक ना के बराबर मिलेगी | 
    घोर पारिवारिक हूँ | माँ, पापा, मैं और मेरी चार बहनों का साधारण परिवार हैं |मैं सबसे बड़ा हूँ |  मेरा पता अभी बिहार और बंगाल दोनों जगह है  और डिजिटल दुनिया  के www.facebook.com/anilkray.fanpage और www.twitter.com/kranil02 की गलियों में भी मिल जायेंगें । mainmohabbat@gmail.com मेरी इ-मेल आईडी है जहाँ आप अपनी डिजिटल चिठियाँ भेज सकते हैं |



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