जब तुम कहती हो
प्यार भरी बातें
तो लगता हैं जैसे -
कोयल ने कूक लगायी है ||
हस्ती हो जब तुम
मेरी प्यार भरी बातों को सुनकर
तो लगता है जैसे -
मोतियों की लड़ी अपनी कला दिखाई हो ||
रास्ते में चलती हो
जब तुम बलखाके
तो लगता है जैसे -
सावन की काली घटा पगलाई है ||
जब देखती हो तुम मुझे
प्यार भरी नज़रो से
तो लगता है जैसे -
दिल के सुने बागो मे बसंत बहार आयी है ||
मेरी नज़रे जब कभी फिसल कर
तुम्हारे गोरे गालो पे पड़ती है
तो लगता है जैसे -
मैख़ाने से निकलकर शराब की प्याली आयी है ||
अनजान अब तुम्हारे उस चांदी सा बदन का
क्या तारीफ़ करूँ ..
तेरी हर एक अंग में बिजली समायी है ||
प्यार भरी बातें
तो लगता हैं जैसे -
कोयल ने कूक लगायी है ||
हस्ती हो जब तुम
मेरी प्यार भरी बातों को सुनकर
तो लगता है जैसे -
मोतियों की लड़ी अपनी कला दिखाई हो ||
रास्ते में चलती हो
जब तुम बलखाके
तो लगता है जैसे -
सावन की काली घटा पगलाई है ||
जब देखती हो तुम मुझे
प्यार भरी नज़रो से
तो लगता है जैसे -
दिल के सुने बागो मे बसंत बहार आयी है ||
मेरी नज़रे जब कभी फिसल कर
तुम्हारे गोरे गालो पे पड़ती है
तो लगता है जैसे -
मैख़ाने से निकलकर शराब की प्याली आयी है ||
अनजान अब तुम्हारे उस चांदी सा बदन का
क्या तारीफ़ करूँ ..
तेरी हर एक अंग में बिजली समायी है ||
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